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अपनी पत्नी यानीना को विदा कहते हुए

apni patni yanina ko vida kahte hue

चेस्लाव मीलोष

चेस्लाव मीलोष

अपनी पत्नी यानीना को विदा कहते हुए

चेस्लाव मीलोष

और अधिकचेस्लाव मीलोष

    शोक मनाने वाली स्त्रियाँ लौटा रही थीं अपनी बहिन अग्नि को।

    और अग्नि, वही जिसे हमने साथ-साथ निहारा था,

    उसने और मैंने, विवाह में लंबे बरसों के दौरान,

    अच्छे और बुरे के लिए एक शपथ में बँधे हुए, अग्नि

    जाड़ों की अँगीठियों की, पड़ाव के अलाव की, जलते शहरों की

    प्राथमिक, शुद्ध, पृथ्वी ग्रह के आरंभ से

    उसके केश उतार रही थी, भूरे लहराते हुए

    पहुँच गई ओठों और गर्दन तक, उसे सोखती अग्नि,

    जिसकी तुलना प्रेम से करती हैं मानवीय बोलियाँ।

    मैं भाषाओं की ओर आकर्षित नहीं हुआ। ही प्रार्थना के शब्दों की ओर।

    मैं उसे प्यार करता था, बिना जाने कि यह सचमुच कौन थी।

    मैंने उसे दु:ख दिया, अपने छलावे के पीछे भागते हुए।

    स्त्रियों को लेकर मैं उसके प्रति वफ़ादार था, सिर्फ़ वफ़ादार उसके

    प्रति।

    हमने बहुत सारी ख़ुशी महसूस की और बहुत सारा दुर्भाग्य,

    विच्छेद, चमत्कृत करने वाले टिकाऊपन। बीच में यहाँ यह राख।

    और समुद्र तटों से टकराता हुआ। और अनुभव की सार्वभौमिकता।

    अपने को विस्मृति से कैसे बचाना? कौन-सी शक्ति

    उसे बचाती है जो था, अगर स्मृति नहीं टिकती है?

    क्योंकि मुझे थोड़ा भर याद है। बहुत थोड़ा मैं याद करता हूँ।

    सचमुच क्षणों की वापसी का अर्थ होगा अंतिम फ़ैसला

    जिसे दया दिन-ब-दिन हमारे लिए स्थगित करती रहती है।

    अग्नि, भारीपन से मुक्ति। सेब नहीं गिरता भूमि पर।

    पहाड़ खिसकते हैं एक स्थान से। अग्नि की यवनिका के पीछे

    एक भेड़ खड़ी है अविनाशी रूपों की बाँगर में।

    आत्माएँ पापमोचक अग्नि में जलती हैं। पागल हैराक्लीटस

    देखता है कैसे एक लपट संसार की बुनियादों को लीलती है।

    क्या मैं शरीरों के पुनर्जीवन में यक़ीन करता हूँ? इस राख के नहीं।

    मैं पुकारता हूँ, मोहित करता हूँ : कणों, अपने को खोल दो।

    अलग-अलग तत्वों में भाग जाओ, राज्य को आने दो।

    पार्थिव अग्नि के परे अपने को नए ढंग से विन्यस्त करो।

    स्रोत :
    • पुस्तक : दरवाज़े में कोई चाबी नहीं (पृष्ठ 114)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : कवि के साथ अनुवादक अशोक वाजपेयी, रेनाता चेकाल्स्का
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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