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अपना जहाँ ठिकाना होगा

apna jahan thikana hoga

संदीप तिवारी

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संदीप तिवारी

अपना जहाँ ठिकाना होगा

संदीप तिवारी

और अधिकसंदीप तिवारी

    घर होगा बस छोटा-सा ही

    खिड़की होगी कहीं-कहीं

    आलमारियाँ कई रहेंगी

    दरवाज़ों का काम नहीं

    एक नीम का तख़्ता होगा

    सिरहाने पर लाठी होगी

    जहाँ कहीं भी पाँव रखूँगा

    उसके नीचे माटी होगी

    आसमान का साया होगा

    बाग़-बग़ीचे पीछे होंगे

    घर का पहरा चाँद करेगा

    तारे उसके नीचे होंगे

    तरह-तरह की ख़ुशबू होगी

    फूलों वाली क्यारी होगी

    बग़ल-बग़ल ही बहने वाली

    नदी वहाँ की प्यारी होगी

    आस-पास हरियाली होगी

    सारी छटा निराली होगी

    बर्तन-भांडे कम ही होंगे

    दो चम्मच दो थाली होगी

    कुत्ते-बिल्ली-चूहे आकर

    कुछ उत्पात मचा जाएँगे

    कोयल-कौआ-मोर-टिटिहरी

    अपने गीत सुना जाएँगे

    नींदों वाला बिस्तर होगा

    पचने वाला दाना होगा

    घास-फूस का छप्पर होगा

    अपना जहाँ ठिकाना होगा

    स्रोत :
    • रचनाकार : संदीप तिवारी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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