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आँख

ankh

कमल जीत चौधरी

अन्य

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और अधिककमल जीत चौधरी

    शिक्षा के कारख़ाने में

    जहाँ मैं नौकरी करता हूँ

    तीन घंटों के युद्ध हेतु

    जूते बनाए जा रहे हैं

    जूते जो रोज़गार तलाशते

    सीढ़ियाँ चढ़ते

    घिस जाएँगे

    उधड़ जाएँगे

    मरम्मत के अभाव में

    सड़क बीच टूट जाएँगे

    तलवों से छूट जाएँगे

    वैसे भी दुनिया जूतों से साफ़ नहीं होती

    मैं समझता हूँ

    जूतों से कारगर है झाड़ू

    झाड़ू से कारगर है पेड़

    पेड़ से बेहतर है खिड़की

    खिड़की से बेहतर है आँख

    आँख

    जो मैली हो

    जिसमें मोतियाबिंद हो

    जो सोते महल

    जागती झोपड़ी

    बंदूक़ की मक्खी

    हल की हत्थी में फ़र्क़ जान सके

    जो सूरज को पीठ पर लादकर

    कमाई हुई रोटी

    और मख़मली चाँदनी तले हस्ताक्षर कर

    लूटी हुई दौलत में

    अंतर भेद सके

    कारण छेद सके

    आँख ही होगी

    सबसे बड़ा हथियार

    उस युद्ध के लिए

    युद्ध जो पैरों के लिए लड़ा जाएगा

    युद्ध जो परों के लिए लड़ा जाएगा

    युद्ध जो मछली के लिए लड़ा जाएगा

    युद्ध जो परों और पैरों का

    बेपरों और बेपैरों से होगा

    युद्ध वह अंतिम और निर्णायक होगा

    जो जूतों की जगह आँख बनाएगा

    वही सच्चा नायक होगा।

    स्रोत :
    • रचनाकार : कमल जीत चौधरी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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