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आलस्य

alasy

अनुवाद : रति सक्सेना

बालमणि अम्मा

अन्य

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और अधिकबालमणि अम्मा

    आलस्य मुझमें फैलता है—

    शाश्वत आनंद की छाया जैसे,

    यहाँ अभी है कर्तव्य अपार, कोशिश करती हूँ

    अपनी यादों से छुटकारा पाने की।

    धरती को बिना श्रम मृदुलता से ढकने-

    वाले फूलों के बीच

    जीवन को सुंदरता देने वाली अकृत्रिम

    कल्पनाओं के बीच

    कर्म-कृषि में मेहनत करने वाले मेरे हाथ

    बिन हिले-डुले पड़े हैं।

    जब दुपहरी की मंद हवा में विश्व सौंदर्य के

    हरे पत्ते उन्मदित होते हैं

    जब विचारों को आर्द्रता देकर भरपूर प्रशांति का

    पावन जल दिल में फैलता है,

    कल के राज्य को गढ़ने वाली प्रज्ञा

    लहरों में बही जाती है।

    जब लता कुंजों में मैनाओं की

    चहचहाहट थम जाती है

    अंतरतम में आशाओं के कदम्ब का

    आमंत्रण थम जाता है—

    आलस्य मुझे डुबो देता है, सर्गान्त-

    काल के निश्वास जैसे

    कोशिश करती हूँ कि यादों के धागे में

    पिरोई धरती निकल पाए।

    स्रोत :
    • पुस्तक : नैवेद्य (निवेद्यम्) (पृष्ठ 35)
    • रचनाकार : बालमणि अम्मा
    • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
    • संस्करण : 1996

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