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अजनबी शहर के पेड़

ajnabi shahr ke peD

अशोक कुमार

अन्य

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अशोक कुमार

अजनबी शहर के पेड़

अशोक कुमार

और अधिकअशोक कुमार

    यहाँ मेरे घर के सामने बहुत से पेड़ हैं

    मैं उन्हें बस पत्तों से पहचानता हूँ

    उनकी गंध से पहचानता हूँ

    उनसे टपके द्रव के धब्बों को पहचानता हूँ

    मैं उनमें से किसी का नाम नहीं जानता।

    जबकि छाँव देते हैं ये भी, वैसे ही

    वैसे ही बैठेते हैं पंछी इन पर

    वैसे ही तने हैं ये भी धूप-बारिश और तूफ़ान में

    इस उष्ण, उमस भरे मौसम में भी

    बचाए हुए हैं अपने हिस्से की हरियाली।

    मैने कई दफ़े पड़ोसियों से पूछे हैं इनके नाम

    किंतु ऐसा कोई नहीं मिला

    जो कि यह बताता कि इनके पत्ते खाकर

    दूध ज़्यादा देती हैं गाएँ

    या इनकी जड़ों को घिसकर

    बनाई जा सकती है कोई दवाई

    या फिर इनकी छाल से बनता है कोई लेप

    कोई नहीं जानता इन परदेसी पेड़ों के बारे में।

    कभी-कभी सोचता हूँ कि कितने अभागे लोग हैं हम

    कि जहाँ पैदा हुए वहाँ रह नहीं पाए

    और जहाँ रह रहे हैं

    वहाँ के पेड़ों तक को नहीं पहचानते।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अशोक कुमार
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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