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अजीब अज़ाब है ज़िंदगी

ajib ajab hai zindagi

राकेश कुमार मिश्र

अन्य

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राकेश कुमार मिश्र

अजीब अज़ाब है ज़िंदगी

राकेश कुमार मिश्र

और अधिकराकेश कुमार मिश्र

    शराब में धुत्त होने के बाद अगर कोई उनका अपमान करता

    तो वह अचानक से सतर्क हो जाते

    वह बेहोशी की क़ब्र से धीरे-धीरे निकलने की कोशिश करते

    'आदत से मजबूर हूँ'

    वह अक्सर कहते

    वह बार-बार कन्फ़ेस करते

    उनके दिल में हो गया है छेद

    कोई दुःख है जो पीछा नहीं छोड़ रहा उनका

    तीस के उम्र में हताशा ने पहली बार

    उनके जीवन में प्रवेश किया

    उसके बाद से वह अकेले पड़ते गए लगातार

    वह किसी राजा का मन लेकर पैदा हुए

    पर उन्हें मिला दुनिया का सबसे दरिद्र परिवार

    जो धन के मामले में नहीं बल्कि कंगाल था

    संवेदना के स्तर पर

    वह जीवन भर 'अपनों में नहीं रह पाने का गीत' गाते रहे

    पीड़ित रहे अपने आत्मा पर लगे घाव से

    और कोसते रहे ख़ुद को और अपने जीवन को।

    स्रोत :
    • रचनाकार : राकेश कुमार मिश्र
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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