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अफ़सोस

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ममता जयंत

अन्य

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ममता जयंत

अफ़सोस

ममता जयंत

और अधिकममता जयंत

    काश!

    उतरती कोई कविता 

    कि लिख पाती वो सारी बातें 

    जो नहीं कह पाई रू-ब-रू होकर 

    खींचती एक ऐसी तहरीर 

    कि जान जाते तुम बिन बताए सब

    और बना रहता एक अदब हमारे बीच 

    अदब में रहना 

    कोई कमज़ोरी नहीं है प्रिय

    प्रेम को बचाए रखने की एक कोशिश भर है 

    प्रेम!

    जिसका नहीं होता कोई पैमाना 

    भरोसे की कोई नियत परिभाषा 

    अदब और भरोसे में रहकर ही 

    रिश्तों की संभाल करना 

    प्रेम की परिणति है 

    मगर अफ़सोस 

    कि अब नहीं उतरती 

    कोई कविता मेरे भीतर!

    स्रोत :
    • रचनाकार : ममता जयंत
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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