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अच्छी माँएँ

achchhi manen

कल्पना मनोरमा

अन्य

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कल्पना मनोरमा

अच्छी माँएँ

कल्पना मनोरमा

बेटियों की नाराज़गी की चिंता

नहीं करतीं अच्छी माँएँ

वे उनके भविष्य की उधेड़-बुन में

उधेड़ती रहती हैं स्वयं को जी भर

अच्छी माँएँ ऊपर-ऊपर से

लीपकर चिकना नहीं बनातीं

वे बेटियों को पाथती हैं

कंडों-उपलों की तरह

नहीं छोड़ना चाहती हैं वे

उनका एक भी कोना

बिना थपका हुआ

उसके बदले में माँओ को प्यार नहीं

मिलती है नासमझ बेरुख़ी

बेटियों की तरफ़ से

लेकिन वे फिर भी मढ़ती रहती है

ढोलक की तरह अपनी बेटियों को

अंधे खटीक की तरह लगन से

वे सोचती हैं

और दूर तक देखती हैं

अच्छी माँएँ चाहती हैं

जब बेटियाँ करें आरंभ पाथना

अपना जीवन!

तो बना सकें अद्भुत आकार

अपनी गृहस्थी का

अच्छी माँएँ डाँटने से नहीं

ज्यादा दुलराने से डरती हैं

क्योंकि

अच्छी माँएँ कोयल नहीं

बया होती हैं।

स्रोत :
  • रचनाकार : कल्पना मनोरमा
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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