अच्छी बहू

achchhi bahu

पद्मजा शर्मा

पद्मजा शर्मा

अच्छी बहू

पद्मजा शर्मा

अच्छी बहू सिर पर पल्लू रखती है

आँखें और गर्दन थोड़ी झुकाए रखती है

पाँवों में पाज़ेब, बिछुए,

हाथों में चूड़ियाँ

माँग में हर दिन सिंदूर भरती है

ननद के ताने सास की ज़्यादती सहती है

जेठ के ऊटपटाँग बोलने पर भी चुप रहती है

अपने पर लगे इल्ज़ामों के लिए प्रश्न नहीं करती है

सबको उसी से रहती हैं शिकायतें

पर सबकी उससे पटती है

घर में सबसे ज़्यादा वह खटती है

सबका कहा करती है

आँखों में आँसू भरती है और प्यासी रहती है

मन खाली रहता है फिर भी पेट भरती है

अच्छी बहू

बेटी भले एक भी जने बेटे दो जनती है

साँझ ढले पति का प्यार पाने के लिए

सजती-सँवरती है

सबके सोने के बाद देर रात बिस्तर पर पड़ती है

सब सोए होते हैं सपनों में खोए होते हैं

मुँह अँधेरे वह उठती है काम करती है

उसकी परवाह कोई नहीं करता

पर थकी होने पर भी सबकी परवाह करती है

अच्छी बहू

कोई नहीं जान पाता

कि इस सबके दरम्यान कितनी बार मरती है

कितनी बार रोती है

और कैसी-कैसी पीड़ाओं में भी

किस-किस तरह हँसती है

अच्छी बहू

स्रोत :
  • रचनाकार : पद्मजा शर्मा
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

संबंधित विषय

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY