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आओ फिर से दिया जलाएँ

aao phir se diya jalayen

अटल बिहारी वाजपेयी

अन्य

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अटल बिहारी वाजपेयी

आओ फिर से दिया जलाएँ

अटल बिहारी वाजपेयी

और अधिकअटल बिहारी वाजपेयी

    भरी दुपहरी में अँधियारा

    सूरज परछाईं से हारा

    अंतरतम का नेह निचोड़ें, बुझी हुई बाती सुलगाएँ

    आओ फिर से दिया जलाएँ

    हम पड़ाव को समझे मंज़िल

    लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल

    वतर्मान के मोहजाल में आने वाला कल भुलाएँ

    आओ फिर से दिया जलाएँ

    आहुति बाक़ी यज्ञ अधूरा

    अपनों के विघ्नों ने घेरा

    अंतिम जय का वज्र बनाने नव दधीचि हड्डियाँ गलाएँ

    आओ फिर से दिया जलाएँ

    स्रोत :
    • पुस्तक : मेरी इक्यावन कविताएँ (पृष्ठ 15)
    • संपादक : चंद्रिकाप्रसाद शर्मा
    • रचनाकार : अटल बिहारी वाजपेयी
    • प्रकाशन : किताबघर प्रकान
    • संस्करण : 2017

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