आओ कि जी लूँ

aao ki ji loon

ऋतेश कुमार

ऋतेश कुमार

आओ कि जी लूँ

ऋतेश कुमार

खड़ा हूँ अभी उसी पलाश के पास

जो हमारी मुलाक़ातों का गवाह है

बेहद पसंद हैं जिसके फूल तुम्हें

मेरे आस-पास गिर रहे हैं

पलाश के पुराने पत्ते

पसरती जा रही है उदासी इसके पास

डूबता जा रहा है पलाश

अपने मन के ख़ालीपन में मेरी तरह

अच्छा! पलाश के

इन ख़ुद में खोए दिनों में

उसके अकेलेपन को तोड़ने आते हैं जब फूल

तो क्या बातें करते हैं उससे?

क्या पूछते हैं?

पिछले वसंत से पतझड़ के बीच

उसने क्या किया

कौन-कौन सी हवाओं ने उसका स्पर्श किया

भिगोया किस पानी ने

कितनी पत्तियाँ निकलीं

कितने पंछी आए

कितने घोंसले बसे

किस अंधड़ ने झिंझोड़ा

मुझे लगता है वह नहीं पूछता कुछ भी

वह देखता है पेड़ की उदासी

भर देना चाहता है उसके ख़ालीपन को

अपनी लालिमा से

वह बस खिलता है और खिलता ही जाता है

जैसे तुम मिलने पर

मुझे चूमती हो और चूमती ही जाती हो

तुम्हारे हर चुंबन से मुझमें खिल जाता है एक फूल

फूल पलाश का

पलाश के लाल-लाल फूल

ले आते हैं

नए ताज़े हरे-हरे पत्तों को अपने पीछे

पेड़ पर महीनों छाया रहता है टटकापन

जैसे छायी रहती है हरियाली मुझमें

तुमसे मिलने के बाद

शंकालु कहते हैं दोस्त दिनों तक :

'क्या बात है, बड़े चमक रहे हो आजकल'

कभी-कभी मुझे लगता है

हर आदमी पलाश के पेड़-सा होता है

जब वह होता है बेहद थका-हारा

अकेला और एकांत

उससे मिलो

उसे सुनो

उसके भीतर खिल रहा होता है पलाश

सुलग रही होती है चुप-सी एक कविता

अपने ही लोगों के बासीपन से

या उत्पीड़न से

उदास होने लगता है जब एक देश

तब खिलते हैं वहाँ अग्निफूल

हरे समाज के लहलहाने से पहले

लाल नदी बही है

हर देश के इतिहास में

कहते हैं इस पृथ्वी पर

पानी पेड़ और प्राणियों से पहले

लाल लावे का समुद्र बहता था

जब भी तुम्हें याद किया

तुम लौट आई

लौट आई तुम

जैसे पलाश के पेड़ पर लौट आता है वसंत

खड़ा हूँ पलाश के पास

झड़ रहे हैं उसके पीले पत्ते

जाओ कि जी लूँ धरती पर एक वर्ष और

स्रोत :
  • रचनाकार : ऋतेश कुमार
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

संबंधित विषय

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY