Font by Mehr Nastaliq Web

आना मार्च

aana march

सौम्य मालवीय

अन्य

अन्य

सौम्य मालवीय

आना मार्च

सौम्य मालवीय

और अधिकसौम्य मालवीय

    अच्छा भाई मार्च फिर मिलेंगे

    तुम फिर आना फागुन और चैत के बीच

    पसरे आँगन की तरह

    जहाँ हम धूप के साथ कंचे खेलेंगे

    पत्तों की चरर-मरर के साथ आना

    आना हवा की दिलजोइयों के साथ

    संजीदा पानी पर

    पलाशों के रक्तिम कलश तिराना

    आना मार्च…

    सड़कों गलियों में टहनियों से सुलेख लिखना

    साँझ ढले तुम सबद सुनाना

    अब तो होली के रंग कान की लवों से भी जा चुके हैं

    और नीली चिंगारियाँ तितलियों में बदल गई हैं

    तुम आना, फ़िर रंग लिए आना मार्च

    हम फिर दीवाने हो लेंगे

    आना हम नीम की ओट से चाँद को देखेंगे

    अलसाए ताल में कंकर फेकेंगे

    तुम्हें पानी में डूबी सीढ़ियों की क़सम आना मार्च

    हमें फिर रोना होगा

    तुम्हें कुछ नए राज़ बतलाकर

    परवर्ती दुखों में जुड़ेंगे कुछ नए अफ़साने भी

    हमसे सब ले जाना मार्च

    मन होता है कम से कम साल में एक बार तो

    मर्तबानों की तरह धूप में औंधे पड़े सूखने का!

    आना मार्च, हमें पता है

    केवल ध्वनि समानता होने भर से

    तुम मारीच का छल नहीं मार्च हो

    ढेर सा यकीन लिए आना

    आना 27 फ़रवरी के बाद

    हमारे जज्बों को पक्का करना

    हम दकनी की याद में फ़ातिहा पढ़ेंगे

    आना मार्च, याद दिलाना हमें कि

    असेम्बलियाँ बम फेकनें के लिए होती हैं

    और ज़िंदगी आख़िरी दम तक तराने गाने के लिए

    हमें मुँह भर धिक्कारना की बच्चे आज भी इम्तहान देते हैं

    हमें ज़ोरदार ऐड़ लगाना मार्च

    ऐसे आना जैसे मंदी आती है व्यवस्था का भ्रम तोड़ती हुई

    बूढ़ी उँगलियों में संतरे की फाँक लिए आना

    दादी की याद बन आना मार्च

    यूँ आना जैसे सुनाई दे रहा झरना दिखाई दे जाए

    हम जानते हैं कि

    मौसमों के बीच का संधिपत्र होने का अकेलापन क्या होता है

    पर आना भाई

    हम तुम्हें प्रेम की पाती की तरह पढ़ेंगे।

    स्रोत :
    • रचनाकार : सौम्य मालवीय
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए