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आदि चिंगारी

aadi chingari

अनुवाद : रामसिंह चाहल

अजमेर रोडे

अन्य

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अजमेर रोडे

आदि चिंगारी

अजमेर रोडे

और अधिकअजमेर रोडे

    मैं तेरी सहरी में

    स्नान कर रहा हूँ

    तेरे इंतज़ार में

    मैं वही वस्त्र पहनकर बैठा हूँ

    जो मुझे जन्म के समय मिले थे

    मैले वस्त्रों के साथ

    मैं तेरा इंतज़ार कैसे करता

    तेरा हाथ सूरज की पहली रश्मि में आएगा

    और मेरी नग्न देह को छू जाएगा

    देह के रोम-रोम में बैठी इंद्रियाँ

    थरथरा उठेंगी

    गीता कहती है

    इंद्रियों से परे मन की दुनिया है

    मन की सीमाओं के पार, बुद्धि

    और फिर बुद्धि के आगे, आत्मा है

    मैं कहता हूँ

    आत्मा से आगे

    आदि चिंगारी है

    जो तेरे छूने में है

    तू आना

    मैं अपने अंगों से टपका

    रोशनी का प्याला—

    तेरे क़दमों पे गिरा दूँगा

    और तेरे अंग-संग होकर बैठ जाऊँगा

    आदि चिंगारी में लिखी हुई

    बातें सुनने के लिए

    आदि-अनंत की लीला

    देखने के लिए

    स्रोत :
    • पुस्तक : ओ पंखुरी (पृष्ठ 47)
    • संपादक : रामसिंह चाहल
    • रचनाकार : अज़मेर रोडे
    • प्रकाशन : संवाद प्रकाशन
    • संस्करण : 2004

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