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ज़िंदगी

zindagi

नवल बिश्नोई

अन्य

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नवल बिश्नोई

ज़िंदगी

नवल बिश्नोई

और अधिकनवल बिश्नोई

    शब में गश्त करते हैं, दिन में सोते हैं।

    और नींद भी आती है तो ख़्वाब के बाद॥

    ज़िंदगी की तरह ही बदली है मोसीकी भी।

    गिटार और हारमोनियम हुए रबाब के बाद॥

    बिशप और हाथी के सितारे क्या रूठे।

    हाल ये कि प्यादे जीतने लगे नवाब के बाद॥

    मिलना-बिछड़ना नहीं बस रोकना हैं मकसद।

    भला कौन ठेहरता है ऐसे जवाब के बाद॥

    ये तुम जैसे आज की तारीख़ में दिखते हो।

    वैसे कब हुए और कोनसे अजाब के बाद॥

    अमन हैं, था और अमन ही रहेगा क़ायम।

    ये जो शोर हैं ढल जाएगा सैलाब के बाद॥

    स्रोत :
    • रचनाकार : नवल बिश्नोई
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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