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आया जिया को चैन

aaya jiya ko chain

अन्नू रिज़वी

अन्य

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अन्नू रिज़वी

आया जिया को चैन

अन्नू रिज़वी

और अधिकअन्नू रिज़वी

    धूप पिघल गई

    साँझ भी ढल गई

    रात ने खोले नैन

    तभी तो आया जिया को चैन

    प्रीत के द्वारे जब कजरारे

    नैन से मिल गए नैन

    तभी तो आया जिया को चैन

    दीपक बनकर जब तुम आए रात हुई उजियारी

    वैसे तो तुम बिन ये रतियाँ थीं बिरहा की मारी

    देख के तुमको चाँद छिप गया रात ने मूँदे नैन

    तभी तो आया जिया को चैन

    प्रीत की तुम धरती भी हो परबत भी और सागर भी

    कलश तुम्हीं से भरे हुए हैं और मन की गागर भी

    तुम छलके तो सारी धरती भीग गई बिन रैन

    तभी तो आया जिया को चैन

    कैसे-कैसे शुरू हुई थी अपनी प्रेम-कहानी

    ख़ुशबू चाही तो तुम आए बनके रात की रानी

    प्रेम के पथ पे तुम भी खोए हम भी रहे बेचैन

    तभी तो आया जिया को चैन

    स्रोत :
    • रचनाकार : अनु रिज़वी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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