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अम्मा कुवारू अब आवत है

amma kuvaru ab aavat hai

रामशंकर वर्मा

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रामशंकर वर्मा

अम्मा कुवारू अब आवत है

रामशंकर वर्मा

और अधिकरामशंकर वर्मा

    बातन के

    मीठि बतासा ख़ुब

    छोटकी बहुरिया बनावत है।

    फुलियाय उठे कासा वन मा

    अम्मा कुवारू अब आवत है।

    बरखा बूंदन के जूना ते

    धरती नभु का चमकाय दिहिसि

    चैगिर्दा दरी हरेरी कै

    गुलगुलि-गुलगुलि बिछवास दिहिस

    तितुलिन का दल चंकवड़ मइहाँ

    अब हियाँ हुवाँ मँडरावत है।

    लइ मोगरी सूरज घामे कै

    कथरी बदरै कै धुनि डारेसि

    चिरइन कै सेना उतरी है

    सब साँवाँ काकुनि चुनि डारेसि

    चुनुवाँ गुल्याल की गोली ते

    धानन के सुवा उड़ावत है

    अम्मा कुवारू अब आवत है।

    भिनसारे सँझलउखे अब

    कछु ठँडी लागि बयारि बहै।

    भै राति जोन्हइया ते जगमग

    जो घटाटोप ते कारि रहै

    आवै वाली रितु परबन कै

    यहु सोचि हिया हुलसावत है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : raamsha.nkar varmaa
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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