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महानतम

mahantam

अन्य

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एक आदमी अपने खेत पर जा रहा था। रास्ते में उसने एक चुहिया पकड़ी और घर लाकर चूहेदानी में बंद कर दिया। बाद में उसने चुहिया को बाहर निकाला तो वह चमत्कारिक रूप से सुंदर लड़की में बदल गई। यह देखकर उसने सोचा, “अगर मैं इसको किसी बड़े आदमी से ब्याह दूँ तो मुझे बहुत फ़ायदा होगा।” सो वह दुनिया के सबसे बड़े आदमी की खोज में निकला। वह सीधे अपने जाति के मुखिया के पास गया। कहने लगा, “दुनिया में आपसे महान कोई नहीं। मैं आपके साथ अपनी मुँहबोली बेटी का ब्याह करना चाहता हूँ।”

मुखिए ने कहा, “मैं उससे ब्याह कर लेता, पर तुमने कहा कि तुम उसका ब्याह महानतम से करना चाहते हो। पानी मुझसे बड़ा है। जब मैं नदी में जाता हूँ तो मैं उसमें बह जाता हूँ।” तब वह आदमी पानी के पास गया। पानी ने कहा, “मैं महानतम या श्रेष्ठतम नहीं हूँ। पवन की हल्की-सी गति से मुझमें लहरें उठने लगती हैं। पवन मुझसे अधिक शक्तिशाली है।”

सो वह पवन के पास गया। पवन ने कहा, “पहाड़ मुझसे ज़्यादा ताकतवर है। मैं चाहे कितना ही ज़ोर लगाऊँ उसे एक अंगुल भी नहीं हिला सकता।”

सो वह आदमी पहाड़ के पास गया। पहाड़ बोला, “हाँ, मुझमें कइयों से अधिक बल है। पवन भी मुझे टस से मस नहीं कर सकता। लेकिन चूहा जब चाहे मुझमें छेद कर देता है। चूहे के सामने मैं असहाय हूँ।”

उस आदमी के कुछ समझ में नहीं आया कि अब वह कहाँ जाए। सो वह घर लौट आया। वहाँ उसने क्या देखा? उसने देखा कि लड़की वापस चुहिया बन गई है। उसने उसे मुक्त कर दिया।

स्रोत :
  • पुस्तक : भारत की लोक कथाएँ (पृष्ठ 215)
  • संपादक : ए. के. रामानुजन
  • प्रकाशन : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत
  • संस्करण : 2001

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