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सोने की चिड़िया

sone ki chiDiya

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बहुत समय पहले की बात है। मंडला क्षेत्र में एक राज्य था जहाँ का राजा बहुत दुष्ट प्रकृति का था। उसे हर समय इस बात की चिंता रहती थी कि उससे कहीं कोई उसका राज्य छीन ले। इसीलिए वह अपने राज्य में एक भी साहसी और निडर व्यक्ति को रहने नहीं देना चाहता था। एक दिन राजा को एक ऐसे लड़के का पता चला जो उसके राज्य में रहता था और चिड़ियाँ पकड़कर बेचता था। चिड़ियाँ पकड़ने के लिए उसे जंगल में जाना पड़ता था। राजा को लगा कि वह लड़का निडर है, साहसी है अत: एक दिन संकट का कारण बन सकता है।

राजा ने उस ग़रीब लड़के को बुलाया और उसे आदेश दिया।

‘तुम मेरे लिए सोने की चिड़िया पकड़कर लाओ अन्यथा मैं तुम्हें मरवा दूँगा।’

लड़के ने आदेश सुना और अपने घर लौट आया। घर पर उसकी माँ के सिवा उसका और कोई नहीं था। माँ ने अपने बेटे को उदास देखा तो कारण पूछा। लड़के ने राजा के आदेश के बारे में बताया।

‘तुम चिंता मत करो! तुम साहसी हो, ढूँढ़ने निकलोगे तो सोने की चिड़िया तुम्हें अवश्य मिलेगी।’ माँ ने उसे समझाया।

माँ से विदा लेकर लड़का जंगल की ओर चल पड़ा। कुछ दूर जाने पर उसे कठफोड़वा दिखाई दिया। उसकी चोंच एक पेड़ के तने में फँस गई थी और वह अपनी चोंच निकालने को छटपटा रहा था। लड़के को उसकी दशा देखकर दया आई। उसने पास जाकर कठफोड़वे की चोंच निकाल दी। कठफोड़वे की जान में जान आई। वह बहुत ख़ुश हुआ।

‘तुमने मेरे प्राण बचाए हैं अतः अब तुम मेरी बेटी से विवाह करके मुझे ऋण उतारने का अवसर दो।’ कठफोड़वे ने कहा।

लड़के ने मना किया किंतु कठफोड़वे के अनुनय-विनय के सामने उसे झुकना पड़ा। उसने कठफोड़वे की बेटी के साथ विवाह किया और कुछ दिन उसके साथ व्यतीत करके आगे चल पड़ा।

आगे जाने पर उसे एक जंगली सुअर दिखाई दिया जो दलदल में फँस गया था और निकल नहीं पा रहा था। लड़के ने उसे बचाने के लिए पेड़ की लताओं का रस्सा बनाया और सुअर की ओर फेंक दिया। सुअर लताओं का रस्सा पकड़कर दलदल से बाहर निकल आया।

‘तुमने मेरे प्राण बचाए हैं अत: अब तुम मेरी बेटी से विवाह करके मुझे ऋण उतारने का अवसर दो।’ सुअर ने कहा।

लड़के ने मना किया किंतु सुअर के अनुनय-विनय के सामने उसे झुकना पड़ा। उसने सुअर की बेटी के साथ विवाह किया और कुछ दिन उसके साथ व्यतीत करके आगे चल पड़ा।

और घने जंगल में पहुचने पर उसे एक राक्षस दिखाई पड़ा जो पीड़ा से कराह रहा था।

‘तुम कराह क्यों रहे हो? तुम्हें क्या कष्ट हैं?” लड़के ने राक्षस से पूछा।

‘मैंने अभी एक हिरण मारकर खाया था। उस हिरण की कोई हड्डी मेरे दाँतों में फँस गई हैं जिसके कारण बहुत पीड़ा हो रही है। मैंने बहुत प्रयास किया लेकिन वह हड्डी निकल ही नहीं रही है। यदि वह हड्डी नहीं निकली तो मैं थोड़ी देर में मर जाऊँगा।’ राक्षस ने कराहते हुए कहा।

‘चिंता मत करो, अपना पूरा मुँह खोलो!’ लड़के ने कहा और राक्षस के पूरा मुँह खोलते ही लपक कर उसके मुँह में जा घुसा। फिर उसने दाँतों में फँसी हड्डी निकाली और वैसे ही लपक कर बाहर गया।

‘तुमने मेरे प्राण बचाए हैं अत: अब तुम मेरी बेटी से विवाह करके मुझे ऋण उतारने का अवसर दो।’ राक्षस ने कहा।

लड़के ने मना किया किंतु राक्षस के अनुनय-विनय के सामने उसे झुकना पड़ा। उसने राक्षस की बेटी के साथ विवाह किया और कुछ दिन उसके साथ व्यतीत करने के बाद आगे जाने की अनुमति माँगी। इस पर राक्षस ने उसे उस स्थान का पता बता दिया जहाँ उसे सोने की चिड़िया मिल सकती थी।

‘मैं भी तुम्हारे साथ चलूँगा।’ राक्षस ने कहा। इसके बाद दोनों चलते-चलते एक बड़े तालाब के किनारे पहुँचे।

‘वो देखो, तालाब के उस पार जो खजूर का पेड़ दिखाई दे रहा है उस पर एक पिंजरा लटक रहा है। उस पिंजरे में सोने की चिड़िया है।’ राक्षस ने तालाब के उस पार संकेत करते हुए कहा।

‘लेकिन मैं उस पार कैसे जाऊँ?’ लड़के ने पूछा।

‘मैं अभी व्यवस्था किए देता हूँ।’ कहते हुए राक्षस ने तालाब का पूरा पानी पी लिया। तालाब सूख गया। लड़का दौड़कर उस पार गया और खजूर के पेड़ पर चढ़कर उस पर लटकता हुआ पिंजरा उतार कर ले आया। लड़के के वापस आते ही राक्षस ने तालाब का जो पानी पी रखा था उसे कुल्ला कर दिया जिससे तालाब फिर से भर गया। इसके बाद दोनों वापस गए। पिंजरे में एक नहीं दो सोने की चिड़ियाँ थीं।

घर पहुँचकर राक्षस ने कहा कि अब तुम अपनी पत्नी को अपने साथ लेते जाओ और आवश्यकता पड़ने पर सोने की चिड़िया से कहना तो वो मुझे संदेश दे देगी। लड़के ने देखा कि उसकी पत्नी राक्षस की राक्षसी बेटी से सुंदर युवती में बदल चुकी थी। उसने अपनी पत्नी को साथ लिया और घर की ओर चल पड़ा। रास्ते में उसे सुअर मिला।

‘अब तुम अपनी पत्नी को अपने साथ लेते जाओ और आवश्यकता पड़ने पर सोने की चिड़िया से कहना तो वो मुझे संदेश दे देगी।’ सुअर ने कहा।

लड़के ने देखा कि उसकी पत्नी सुअर की सुअरी बेटी से सुंदर युवती में बदल चुकी थी। उसने अपनी पत्नी को साथ लिया और घर की ओर चल पड़ा। रास्ते में उसे कठफोड़वा मिला।

‘अब तुम अपनी पत्नी को अपने साथ लेते जाओ और आवश्यकता पड़ने पर सोने की चिड़िया से कहना तो वो मुझे संदेश दे देगी।’ कठफोड़वे ने कहा। लड़के ने देखा कि उसकी पत्नी कठफोड़वे की कठफोड़वी बेटी से सुंदर युवती में बदल चुकी थी। उसने अपनी पत्नी को साथ लिया और घर की ओर चल पड़ा।

लड़का जब अपनी तीनों पत्नियों सहित अपने घर पहुँचा तो उसकी माँ बहुत प्रसन्न हुई।

‘अब तुम राजा को सोने की चिड़िया देकर पिंड छुड़ाओ।’ माँ ने कहा, ‘लेकिन एक चिड़िया देना, दोनों मत देना।’

लड़का राजा के पास पहुँचा। उसने राजा को सोने की एक चिड़िया दे दी।

चिड़िया पाकर राजा और अधिक भयभीत हो उठा। उसे लगा कि इस लड़के को हर हाल में मरवा देना चाहिए वरना एक एक दिन यह मुझसे मेरा राज्य छीन लेगा। यह सोचकर उसने लड़के को फिर बुलाया।

‘मैंने तुमसे सोने की चिड़िया का जोड़ा लाने को कहा था लेकिन तुम एक ही चिड़िया लाए। यदि तुम दूसरी चिड़िया नहीं लाए तो आज से तीसवें दिन मैं तुम्हें मरवा दूँगा।’ राजा ने धमकी देते हुए कहा।

लड़का जानता था कि राजा झूठ बोल रहा है। उसने एक चिड़िया लाने को कहा था, दो नहीं। मगर मरता क्या करता। वह चुपचाप घर लौट आया। घर लौटकर उसने अपनी माँ को राजा का नया आदेश बताया।

‘तुम उन्तीस दिन आराम से घर में रहो और अपनी पत्नियों की देख-भाल करो फिर तीसवें दिन जाकर ये दूसरी चिड़िया राजा को दे आना।’ माँ ने लड़के को समझाया, ‘और यदि राजा इस बार कोई नया आदेश दे और उसे पूरा कर पाने पर तुम्हें मारने की धमकी दे तो उससे कहना कि यदि तुम पूरा कर पाओं तो वह तुम्हें मार दे किंतु यदि तुमने उसका आदेश पूरा कर दिखाया तो तुम उसे मार डालोगे।’

लड़के ने वैसा ही किया। तीसवें दिन वह राजा के पास पहुँचा और उसने राजा के पास जाकर उसे दूसरी सोने की चिड़िया दे दी। दूसरी चिड़िया पाकर राजा लड़के को मारने को उतावला हो उठा।

‘तुम बहुत साहसी और परिश्रमी हो। यदि तुम मेरे लिए कल परसों सुबह तक एक तालाब खोद कर उसे पानी से भर दो तो मैं तुम्हें मुँहमाँगा ईनाम दूँगा अन्यथा अपनी तलवार से तुम्हारा गला काट दूँगा।’ राजा ने कहा।

‘ठीक है महाराज! मैं आपके आदेशानुसार परसों सुबह तक एक तालाब खोद कर उसमें पानी भर दूँगा। यदि मैं ऐसा नहीं कर सका तो आप मेरा गला अपनी तलवार से काट दीजिएगा। किंतु यदि मैंने ऐसा कर दिया तो मैं आपकी ही तलवार से आपका गला काट दूँगा।’ लड़के ने साहस करके राजा से कहा।

‘ठीक है। मुझे स्वीकार है।’ राजा मान गया। उसे पूरा विश्वास था कि लड़का दो दिन में तालाब खोद कर उसमें पानी नहीं भर सकता है।

लड़का राजा से मिलकर वापस लौट रहा था तो उसने देखा कि राजा के सेवक सोने की चिड़ियों को दाना चुगा रहे हैं।

‘ओ सोने की चिड़ियों! मुझे कठफोड़वा, सुअर और राक्षस की सहायता चाहिए।’ लड़के ने चिड़ियों की ओर देखकर चिल्ला कर कहा और अपने घर लौट गया।

सोने की चिड़ियाँ राजा के सेवकों को मूर्छित करके उड़ चलीं। उन्होंने कठफोड़वा, सुअर और राक्षस को संदेश दे दिया। तीनों संदेश पाकर गए। उन्होंने लड़के से राजा के आदेश के बारे में जानकारी ली और काम में जुट गए। कठफोड़वे ने अपने साथियों सहित मिट्टी खोद डाली और तालाब बना दिया। सुअर ने अपने साथियों सहित सुरंग खोद कर राजा के महल के तालाब से जोड़ दिया जिससे महल के तालाब का पानी नए तालाब में गया।

लड़का राजा के पास पहुँचा।

‘चल कर देख लीजिए। मैंने आपके आदेश के अनुरूप तालाब बनाकर उसमें पानी भर दिया है।’ लड़के ने राजा से कहा।

राजा ने सोचा कि अब तो इस लड़के तत्काल मारना होगा वरना ये मुझे मार डालेगा। राजा ने अपनी सेना बुला ली और लड़के को मारने के लिए तलवार उठाकर बढ़ा। उसी समय राक्षस गया। उसने एक फूँक मारकर राजा की सारी सेना को उड़ा दिया। लड़के ने राजा से तलवार छीन ली और उसे मार दिया।

दुष्ट राजा के मरने पर प्रजा बहुत प्रसन्न हुई। प्रजा ने लड़के को राजा बना दिया। लड़के ने सोने की चिड़ियों को स्वतंत्र कर दिया। फिर वह अपनी माँ और तीनों पलियों सहित आकर महल में रहने लगा और न्यायपूर्वक राज्य करने लगा।

स्रोत :
  • पुस्तक : भारत के आदिवासी क्षेत्रों की लोककथाएं (पृष्ठ 213)
  • संपादक : शरद सिंह
  • प्रकाशन : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भारत
  • संस्करण : 2009

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