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पतली बाँसुरी

patli bansuri

अन्य

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बहुत दिन पहले की बात है। एक गाँव के लोग जंगल में शिकार करने के लिए गए। एक छोटा बच्चा उनके पीछे-पीछे गया। जंगल में वह रास्ता भूल गया। शाम हो गई तो पेड़ की खोह में जाकर बैठ गया। उस पेड़ के नीचे जंगली भैंसे इकट्ठे होते। वहीं रहकर हर दिन वह बच्चा उनका गोबर साफ़ करता। जंगली भैंसों ने भी उसका उपकार किया। हर दिन उसके लिए फल-मूल लाकर देते। वह बच्चा कभी-कभी एक पतली बाँसुरी बजा देता तो उसे सुनकर सारे जंगली भैंसे दौड़कर उसके पास पहुँच जाते। मीठी बाँसुरी बजाता तो वह फिर चरने लगते।

वह बच्चा धीरे-धीरे बड़ा हुआ। एक दिन नहाते समय उसका बारह हाथ लंबा एक बाल टूटकर गिरा। उसने सोचा अगर इसे पानी में डाल दूँ तो उसमें मछली फँस जाएगी। ज़मीन में फेंक दूँ तो पक्षी फँस जाएँगे। इसलिए उसने डिमिरि फल के अंदर उस बाल को भरकर पानी में बहा दिया। फल तैरते हुए वहाँ पहुँचा, जहाँ एक राजकुमारी नहा रही थी। राजकुमारी ने फल लेकर उसे खोला तो देखा बारह हाथ लंबा एक बाल है। उसने उसी बाल वाले लड़के से शादी करने का मन बना लिया। राजमहल पहुँचकर फिर उसने कुछ खाया, पिया, बस लेटी रही। राजा ने उससे कारण पूछा तो उन्हें पता चला वह बारह हाथ लंबे बालों वाले लड़के से विवाह करना चाहती है। राजा ने मंत्री को आदेश दिया कि उस लड़के को पकड़कर ले आए। पर उस पतली बाँसुरी के चलते कोई उसे पकड़ नहीं पाता था।

तब मंत्री ने कौए से कहकर उस बाँसुरी को चुरा लिया। फिर भी राजा के लोग उसे नहीं पकड़ पाए। कारण, अब वह होंठों से सीटी बजाकर जंगली भैंसों को बुला लेता। विपदा का संकेत सुनकर वह सब दौड़े चले आते। तब राजा ने तोते को उस युवक के पास भेजा। तोते ने उस युवक का होंठ काट लिया। अब वह होंठों से जंगली भैंसों को संकेत नहीं दे पाया, इसलिए राजा के लोग उसे पकड़कर राजमहल ले गए और वहाँ उसे उसकी बाँसुरी लौटा दी।

उस युवक ने तब बाँसुरी बजाकर सारे जंगली भैंसों को बुलाया। हल्दी-पानी का छींटे पड़ने पर कुछ जंगली भैंसे घोड़े बन गए। चूने के पानी का छींटे पड़ने पर कुछ जंगली भैंस गाय-भैंस बैल बन गए। गोबर-पानी के छींटे पड़ने पर कुछ भैंस बन गए। राजमहल में उत्सव मना। भोज हुआ। राजकुमारी भी उस भोज उत्सव में शामिल हुई।

स्रोत :
  • पुस्तक : ओड़िशा की लोककथाएँ (पृष्ठ 160)
  • संपादक : महेंद्र कुमार मिश्र
  • प्रकाशन : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत
  • संस्करण : 2017

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