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मैथिली लोकगीत : आम डारि बोलल कारी रे कोयलिया

maithili lokgit ha aam Dari bolal kari re koyaliya

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रोचक तथ्य

संदर्भ—प्रथम मिलन यामिनी।

आम डारि बोलल कारी रे कोयलिया,

दुअरहिं बोलल मजूर रे।।1।।

कोबरहिं बोलल दुलहा से कोन दुलहा,

जेकर अति बड़ भाग रे।।2।।

केहि मोरा लिखलन्हि एहो प्रेम कोवर,

केहि सेज फूल छिरिआउ रे।।3।।

साली मोरा लिखलन्हि एहो प्रेम कोवर,

सरहज फूल छिरिआउ रे।।4।।

ताहि कोवर सुतलन्हि दुलहा से कोन दुलहा,

कोन सुहबे बेनिया डोलाउ रे।।5।।

बेनिया डोलवतइ बँहिया मुरुचि गेल,

सुहबे रोदन पसारु रे।।6।।

चुपे रहु चुपे रहु सुहबे से कोन सुहबे,

भोरे देब बँहिया जुटाय रे।।7।।

आम की डाल पर काली कोयल कूकी और दरवाज़े पर मोर बोला।।1।।

कोहबर में दूल्हा बोला, जो बड़ा भाग्यवान है।।2।।

दूल्हा सोचने लगा—किसने मेरे प्रेम कोहवर की रचना की और किसने सेज पर फूल छितराया?।।3।।

फिर सोचा—मेरी साली ने यह प्रेम—प्रकोष्ठ सजाया और सलहज ने फूल

बिखेरे।।4।।

उस कोहवर में दूल्हा सोया और दूल्हन पंखा झलने लगी।।5।।

पंखा झलते ही उसकी बाँह में मोच गई और वह रोने लगी।।6।।

दूल्हे ने उससे कहा—हे प्रिये चुप रहो। मैं भोर होते ही तुम्हारी मोच ठीक

कर दूँगा।।7।।

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