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कनौजी लोकगीत : मेरी लाड़ो रूप सरूप, सामरौ बर पाओ

kanauji lokgit ha meri laDo roop sarup, samrau bar pao

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रोचक तथ्य

संदर्भ—वधू की शोभा का वर्णन।

मेरी लाड़ो रूप सरूप, सामरौ बर पाओ।।टेक।।

छज्जा ऊपर आजी बोलीं, बर दीजो लौटाय।

परदा भीतर लाड़ो बोली, खाय जहर मरि जायँ

भँउरी डारौ ये ही बर ते।।1।।

छज्जा ऊपर माया बोली, बर दीजो लौटाय।

परदा भीतर लाड़ो बोली, खाय जहर मरि जायँ,

भँउरी डारौ ये ही बर ते।।2।।

स्रोत :
  • पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 239)
  • संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
  • प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
  • संस्करण : 2002

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