Font by Mehr Nastaliq Web

तन कौ कौन भरोसो करनें

tan kau kaun bharoso karnen

ईसुरी

अन्य

अन्य

ईसुरी

तन कौ कौन भरोसो करनें

ईसुरी

और अधिकईसुरी

    तन कौ कौन भरोसो करनें!

    आखिर इक दिन मरने!

    जौ संसार ओस कौ बूंदा, पवन लगें से ढरनें॥

    जौ लौं जी की जियन जोरिया, जी सों जै दिन भरनें॥

    ‘ईसुर’ संसार आन कें, बुरए काम में डरने॥

    इस देह का क्या भरोसा करना? आख़िरकार मरना तो है ही। यह जगत ओस की बूँद जैसा है, जो हवा लगते ही नष्ट हो जाता है। जिसके जीवन की डोर जितनी लंबी है, उसे उतने दिन भरना भुगतना है। अरे ईसुरी! इस संसार में आए हो तो बुरे काम से डरो।

    स्रोत :
    • पुस्तक : ईसुरी की फागें (पृष्ठ 80)
    • संपादक : घनश्याम कश्यप
    • प्रकाशन : शब्दपीठ
    • संस्करण : 1995

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए