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छापे दए छैल पै छब के

chhape de chhail pai chhab ke

ईसुरी

अन्य

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ईसुरी

छापे दए छैल पै छब के

ईसुरी

और अधिकईसुरी

    छापे दए छैल पै छब के!

    करे करम सब रब के!

    नैना दोऊ बाँस बाँकुड़े, पेड़ पेड़ के टबके॥

    सैमू छाती उठै हमारे, सैल सैल के धबके॥

    मन धन लुटै, बात बातन में, आँखन देखत सबके॥

    बेई बिड़ारे फिरै ‘ईसुरी’ रिझवारे खों लपके॥

    वे रसिकों पर छवि के छापे लगाती है। यह सब प्रभु की माया है। उनके नेत्र बड़े बाँके हैं। पेड़ से टपके आमों से रसीले। उनके कटाक्षों के मुष्टिक, छाती पर धमाके के साथ लगते हैं। हमारे मन की दौलत बात-बात में सबकी आँखों के सामने लुट रही है। उनके मारे ईसुरी भागे−भागे फिरते हैं। वे रीझने वालों को लपक कर घेर लेते हैं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : ईसुरी की फागें (पृष्ठ 194)
    • संपादक : घनश्याम कश्यप
    • प्रकाशन : शब्दपीठ
    • संस्करण : 1995

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