यश मालवीय के बेला
नवगीत का सूरज डूब गया
माहेश्वर तिवारी [1939-2024]—एक भरा-पूरा नवगीत नेपथ्य में चला गया—अपनी कभी न ख़त्म होने वाली गूँज छोड़कर। एक किरन अकेली पर्वत पार चली गई। एक उनका होना, सचमुच क्या-क्या नहीं था! उन्हें रेत के स्वप्न आते
1962 | इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
सुपरिचित कवि-गीतकार।
सुपरिचित कवि-गीतकार।
हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली
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