रांगेय राघव की कहानियाँ
गूँगे
‘शकुंतला क्या नहीं जानती?' 'कौन? शकुंतला! कुछ नहीं जानती!' 'क्यों साहब? क्या नहीं जानती? ऐसा क्या काम जो वह नहीं कर सकती?' ‘वह उस गूँगे को नहीं बुला सकती।' 'अच्छा, बुला दिया तो? "बुला दिया?" बालिका ने एक बार कहने वाली की ओर द्वेष से देखा और चिल्ला
गदल
(एक) बाहर शोरगुल मचा। डोड़ी ने पुकारा— “कौन है?” कोई उत्तर नहीं मिला। आवाज़ आई— “हत्यारिन! तुझे कतल कर दूँगा!” स्त्री का स्वर आया— “करके तो देख! तेरे कुनबे को डायन बनके न खा गई, निपूते!” डोड़ी बैठा न रह सका। बाहर आया। “क्या करता है, क्या
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere