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रवींद्रनाथ टैगोर

1861 - 1941 | जोड़ासांको ठाकुरबाड़ी, पश्चिम बंगाल

समादृत बहुविद कवि-साहित्यकार-चित्रकार-दार्शनिक और समाज-सुधारक। राष्ट्रीय गान के रचयिता। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित।

समादृत बहुविद कवि-साहित्यकार-चित्रकार-दार्शनिक और समाज-सुधारक। राष्ट्रीय गान के रचयिता। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित।

रवींद्रनाथ टैगोर की संपूर्ण रचनाएँ

कविता 30

पत्र 5

 

कहानी 2

 

उद्धरण 29

यदि तेरी पुकार सुनकर कोई आए तो तू अकेला ही चल।

हर शिशु इस संदेश के साथ जन्मता है कि इश्वर अभी तक मनुष्यों के कारण शर्मसार नहीं है।

धरती के आँसू ही उसकी मुस्कानों को खिलाते हैं।

मृत्यु का अर्थ रौशनी को बुझाना नहीं; सिर्फ़ दीपक को दूर रखना है क्यूंकि सवेरा हो चुका है।

प्रेम का उपहार दिया नहीं जा सकता, वह प्रतीक्षा करता है कि उसे स्वीकार किया जाए।

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