रामस्वरूप चतुर्वेदी का आलोचनात्मक लेखन
उपन्यास की भाषा
साहित्यिक रचनाशीलता की भाषा का तत्त्व केंद्रीय है, इसे अब धीरे-धीरे स्वीकार किया जाने लगा है। बोलचाल की भाषा के सामान्य उपयोगी स्तर से लेकर कविता की भाषा के अधिकतम संभव सर्जनात्मक स्तर के बीच भाषिक प्रयोग की कई प्रकार की संभावनाएँ हैं। यहाँ स्मरण रखना
उपन्यास के दायित्व
एक साहित्य के माध्यमों में से कौन-सा माध्यम सबसे अधिक सशक्त तथा प्रभावोत्पादक है, इस संबंध में विभिन्न विद्वानों के अपने-अपने मत रहे हैं। इधर लगभग पिछले 5-6 वर्षों से उपन्यास की महत्ता सर्वमान्य रूप से प्रतिपादित की जाने लगी है। पच्चीस वर्षों पहले तक
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere