लुइजी पिरांडेलो की कहानियाँ
युद्ध
रात की एक्सप्रेस गाड़ी से रोम से निकले यात्रियों को भोर तक फ़ैब्रियानो के छोटे स्टेशन पर रुकना पड़ा, क्योंकि वहाँ से उनका डिब्बा दूसरी रेल से जुड़ना था। भोर के समय, सैकंड क्लास के उस घुटन और धुएँ से भरे डिब्बे में, जिसमें पाँच लोग पहले ही रात गुज़ार
वह
जिस दिन उन लोगों का विवाह होना निश्चित हुआ, उसी दिन से बर्तोलीनो ने अपनी भावी पत्नी को कहते सुना-जानते हो न, मेरा असली नाम लीना नहीं है। मेरा नाम है करोलीना, किंतु ‘वे’ मुझे लीना कह कर पुकारते थे। इसी कारण तभी से मेरा नाम लीना ही रह गया है। ओह! बहुत
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere