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हरे प्रकाश उपाध्याय

1981 | भोजपुर, बिहार

सुपरिचित कवि-कथाकार-संपादक। 'खिलाड़ी दोस्त और अन्य कविताएँ', 'नया रास्ता' शीर्षक से दो कविता-संग्रह तथा 'बखेड़ापुर' शीर्षक से एक उपन्यास प्रकाशित। 'मंतव्य' के संपादक।

सुपरिचित कवि-कथाकार-संपादक। 'खिलाड़ी दोस्त और अन्य कविताएँ', 'नया रास्ता' शीर्षक से दो कविता-संग्रह तथा 'बखेड़ापुर' शीर्षक से एक उपन्यास प्रकाशित। 'मंतव्य' के संपादक।

हरे प्रकाश उपाध्याय के बेला

25 सितम्बर 2024

जीवन की कविता और कविता का जीवन

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सबसे पहले तो यही स्पष्ट कर देना यहाँ ज़रूरी है कि यह उद्भ्रांत की प्रतिनिधि कविताओं का संचयन नहीं है। उनकी प्रतिनिधि व चर्चित कविताओं के कई संकलन इससे पहले ही प्रकाशित हो चुके हैं, उनकी काव्य संचयिता

06 अगस्त 2024

संवेदना न बची,  इच्छा न बची, तो मनुष्य बचकर क्या करेगा?

संवेदना न बची, इच्छा न बची, तो मनुष्य बचकर क्या करेगा?

24 जुलाई 2024 भतृहरि ने भी क्या ख़ूब कहा है— सर्वे गुणाः काञ्चनमाश्रयन्ति।।  अर्थात् : जिसके पास धन है, वही गुणी है; या यह भी कि सभी गुणों के लिए धन का ही आसरा है।  बताइए, क्या यह आज भी सच

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