देवराज उपाध्याय का आलोचनात्मक लेखन
हिंदी-उपन्यास का धरातल
हिंदी-उपन्यास अथवा हिंदी-साहित्य की जिस समस्या का हम इस समय संकेत करना चाहते हैं, यह एक प्रकार से वर्तमान भारतीय संस्कृति की समस्या है। संक्षेप में यह समस्या यह है कि विभिन्न सांस्कृतिक क्षेत्रों में हम अंतर्राष्ट्रीय धरातल को किस प्रकार प्राप्त करें?
लक्ष्मीनारायण मिश्र की नाट्य-कला
पंडित लक्ष्मीनारायण मिश्र जी के नाटकों से मेरा परिचय एक विचित्र नाटकीय ढंग से हुआ। सन् 1930 में मैं इतिहास के एम. ए. का विधार्थी था। पटने में युवक आश्रम के पास ही मढिया में रहा करता था। 'युवक' बिहार का एकमात्र सर्वप्रथम क्रांतिकारी मासिक पत्र था। जिन
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere