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अप्पय दीक्षित

1520 - 1593 | तिरुवन्नामलई, तमिलनाडु

दक्षिण भारत के समादृत योगी, दार्शनिक और संस्कृत काव्यशास्त्री। शिव अद्वैत में योगदान।

दक्षिण भारत के समादृत योगी, दार्शनिक और संस्कृत काव्यशास्त्री। शिव अद्वैत में योगदान।

अप्पय दीक्षित की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 3

संसार में नीति, नियति, वेद, शास्त्र और ब्रह्म सबको जानने वाले मिल सकते हैं, परंतु अपने अज्ञान को जानने वाले मनुष्य विरले ही हैं।

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खाओ, पिओ, जागो, बैठो अथवा खड़े रहे, पर दिन में एक बार भी यह सोच लो कि इस शरीर का नाश निश्चय है।

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संसार के भोग के लिए तो मूढ़जन हज़ारों-लाखों ख़र्च कर दिया करते हैं, पर उनसे पाँच छह विल्वपत्रों से मुक्ति नहीं ख़रीदी जाती।

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हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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