चोर पर दोहे
चोरी करने वाला व्यक्ति
चोर कहा जाता है। चौर्यकर्म में निहित रहस्यात्मकता, कौतुक, दुस्साहसिकता के कारण कवियों द्वारा चोर पर्याप्त आकर्षण से कविता में तलब किए जाते रहे हैं।
चरण धरत चिंता करत, नींद न भावत शोर।
सुबरण को सोधत फिरत, कवि व्यभिचारी चोर॥
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere