सरस्वती पर कविताएँ

सरस्वती विद्या की देवी

हैं। उनकी स्तुति और प्रशंसा में प्राचीन समय से ही काव्य-सृजन होता रहा है। विद्यालयों में प्रार्थना के रूप में निराला विरचित ‘वर दे, वीणावादिनी वर दे!’ अत्यंत लोकप्रिय रचना रही है। समकालीन संवादों और संदर्भों में भी सरस्वती विषयक कविताओं की रचना की गई है।

कला की देवी से

अलेक्सांद्र ब्लोक

सरस्वती

नीलाभ अश्क

वंदना के इन स्वरों में

सोहनलाल द्विवेदी

एक अनुग्रह

शिवबहादुर सिंह भदौरिया

माँ सरस्वती

कुमार मुकुल

सरस्वती

राधावल्लभ त्रिपाठी

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere