सरस्वती पर कविताएँ
सरस्वती विद्या की देवी
हैं। उनकी स्तुति और प्रशंसा में प्राचीन समय से ही काव्य-सृजन होता रहा है। विद्यालयों में प्रार्थना के रूप में निराला विरचित ‘वर दे, वीणावादिनी वर दे!’ अत्यंत लोकप्रिय रचना रही है। समकालीन संवादों और संदर्भों में भी सरस्वती विषयक कविताओं की रचना की गई है।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere