प्रतिज्ञा पर उद्धरण
प्रतिज्ञा किसी कार्य
या कर्तव्य-पालन के लिए व्यक्त दृढ़ निश्चय है। इसे न्याय दर्शन में अनुमान के पाँच अवयवों में से पहला अवयव भी कहा गया है। प्रस्तुत चयन में प्रतिज्ञा को प्रमुख शब्द या आशय की तरह इस्तेमाल करती कविताओं का संकलन किया गया है।

वात्सल्य, अभयदान की प्रतिज्ञा, आर्त-दुःख-निवारण, उदारता, पाप के विनाश और असंख्य कल्याण पदों की प्राप्ति कराने के कारण सभी लोकों के लिए लक्ष्मीपति नारायण ही सेव्य हैं। इस विषय में प्रह्लाद, विभीषण, गजेंद्र, द्रौपदी, अहल्या और ध्रुव- ये सभी साक्षी हैं।
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere