दर्द पर कथाएँ
‘आह से उपजा होगा गान’
की कविता-कल्पना में दर्द, पीड़ा, व्यथा या वेदना को मानव जीवन के मूल राग और काव्य के मूल प्रेरणा-स्रोत के रूप में स्वीकार किया जाता है। दर्द के मूल भाव और इसके कारण के प्रसंगों की काव्य में हमेशा से अभिव्यक्ति होती रही है। प्रस्तुत चयन में दर्द विषयक कविताओं का संकलन किया गया है।
बाल महाभारत : युधिष्ठिर की वेदना
कुछ देर बाद युधिष्ठिर रोती-बिलखती हुई स्त्रियों के समूह को पार करते हुए भाइयों व श्रीकृष्ण सहित धृतराष्ट्र के पास आए व नम्रतापूर्वक हाथ जोड़े खड़े रहे। इसके बाद धृतराष्ट्र ने भीम को अपने पास बुलाया। धृतराष्ट्र के हाव-भाव से श्रीकृष्ण ने अंदाज़ा लगाया
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी
बाल महाभारत : पांडवों का धृतराष्ट्र के प्रति व्यवहार
कौरवों पर विजय पा लेने के बाद सारे राज्य पर पांडवों का एकछत्र अधिकार हो गया और उन्होंने कर्तव्य समझकर राज-काज सँभाल लिया। फिर भी जिस संतोष और सुख की उन्हें आशा वह प्राप्त नहीं हुआ। युधिष्ठिर ने अपने भाइयों को आज्ञा दे रखी थी कि पुत्रों के बिछोह से
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी
बाल महाभारत : धृतराष्ट्र की चिंता
जब द्रौपदी को साथ लेकर पांडव वन की ओर जाने लगे थे, तो धृतराष्ट्र ने विदुर को बुला और पूछा—“विदुर, पांडु के बेटे और द्रौपदी कैसे जा रहे हैं? मैं कुछ देख नहीं सकता हूँ। तुम्हीं बताओ कैसे जा रहे हैं वे?” विदुर ने कहा—“कुंती-पुत्र युधिष्ठिर, कपड़े से
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere