विवाह पर दोहे

स्त्री-पुरुष युगल को

दांपत्य सूत्र में बाँधने की विधि को विवाह कहा जाता है। यह सामाजिक, धार्मिक और वैधानिक—तीनों ही शर्तों की पूर्ति की इच्छा रखता है। हिंदू धर्म में इसे सोलह संस्कारों में से एक माना गया है। इस चयन में विवाह को विषय या प्रसंग के रूप में इस्तेमाल करती कविताओं को शामिल किया गया है।

गौतम तिय गति सुरति करि, नहिं परसति पग पानि।

मन बिहसे रघुबंस मनि, प्रीति अलौकिक जानि॥

मुनि गौतम की पत्नी अहल्या की गति को याद करके (जो चरणस्पर्श करते ही देवी बनकर आकाश में उड़ गई थी) श्री सीता जी अपने हाथों से भगवान् श्री राम जी के पैर नहीं छूतीं। रघुवंश-विभूषण श्री राम सीता के इस अलौकिक प्रेम को जानकर मन-ही-मन हँसने लगे।

तुलसीदास

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

संबंधित विषय