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शराब पर कविताएँ

शराब अल्कोहलीय पेय पदार्थ

है जिसे मदिरा, हाला, सुरा भी कहते हैं। हमारे समाज के अधिकांश हिस्से में शराब को एक बुराई और अनैतिक चीज़ मानते हैं। शराबियों का सम्मान और विश्वास कम ही किया जाता है, बावजूद इसके शराब पीने वालों के लिए इसकी उपस्थिति सुख और दुख दोनों में ही केंद्रीय होती है। साहित्य में इसे अराजकता, बोहेमियन जीवन-प्रवृत्ति, आवारगी के साथ चलने वाली चीज़ माना जाता है। शराब कविता का विषय बहुत शुरू से ही रही है। यहाँ प्रस्तुत है—शराब विषयक कविताओं से एक विशेष चयन।

शराब के नशे में

अच्युतानंद मिश्र

मैंने उनसे कहा

जितेंद्र कुमार

यह एक संध्या-चषक है

शेषेन्द्र शर्मा

Alcoholic

गुलज़ार

फिर कफ़न

प्रकाश

लड़की

अमिताभ

हुए बदनाम

राकेश कबीर

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere