लोक पर संस्मरण
लोक का कोशगत अर्थ—जगत
या संसार है और इसी अभिप्राय में लोक-परलोक की अवधारणाएँ विकसित हुई हैं। समाज और साहित्य के प्रसंग में सामान्यतः लोक और लोक-जीवन का प्रयोग साधारण लोगों और उनके आचार-विचार, रहन-सहन, मत और आस्था आदि के निरूपण के लिए किया जाता है। प्रस्तुत चयन में लोक विषयक कविताओं का एक विशेष और व्यापक संकलन किया गया है।
शिवमूर्ति : अजीब शख़्स है पानी के घर में रहता है
मनुष्य जाति के उड़ने का सपना पहली बार साकार करने वाले हवाई जहाज़ के आविष्कारक राइट बंधुओं का वृहद् स्तर पर नागरिक सम्मान आयोजित किया गया। इस अवसर पर आयोजकों ने उन्हें अपना व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया। पहले छोटे भाई से बोलने का निवेदन किया गया।
दिनेश कुशवाह
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere