Font by Mehr Nastaliq Web

शहर पर पद

शहर आधुनिक जीवन की आस्थाओं

के केंद्र बन गए हैं, जिनसे आबादी की उम्मीदें बढ़ती ही जा रही हैं। इस चयन में शामिल कविताओं में शहर की आवाजाही कभी स्वप्न और स्मृति तो कभी मोहभंग के रूप में दर्ज हुई है।

पद-82

अष्टभुजा शुक्‍ल

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

संबंधित विषय