देह पर कड़वक

देह, शरीर, तन या काया

जीव के समस्त अंगों की समष्टि है। शास्त्रों में देह को एक साधन की तरह देखा गया है, जिसे आत्मा के बराबर महत्त्व दिया गया है। आधुनिक विचारधाराओं, दासता-विरोधी मुहिमों, स्त्रीवादी आंदोलनों, दैहिक स्वतंत्रता की आवधारणा, कविता में स्वानुभूति के महत्त्व आदि के प्रसार के साथ देह अभिव्यक्ति के एक प्रमुख विषय के रूप में सामने है। इस चयन में प्रस्तुत है—देह के अवलंब से कही गई कविताओं का एक संकलन।

नखशिख (चार)

मलिक मोहम्मद जायसी

नखशिख (नौ)

मलिक मोहम्मद जायसी

नखशिख (तीन)

मलिक मोहम्मद जायसी

नखशिख (पंद्रह)

मलिक मोहम्मद जायसी

नखशिख (सोलह)

मलिक मोहम्मद जायसी

नखशिख (दस)

मलिक मोहम्मद जायसी

नखशिख (आठ)

मलिक मोहम्मद जायसी

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere