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जन्म पर दोहे

जन्म और जन्मदिन विषयक

कविताओं का एक चयन।

अनुदिन अवध बधावने, नित नव मंगल मोद।

मुदित मातु-पितु लोग लखि, रघुवर बाल विनोद॥

श्री अयोध्या जी में रोज बधावे बजते हैं, नित नए-नए मंगलाचार और आनंद मनाए जाते हैं। श्री रघुनाथ जी की बाल लीला देख-देखकर माता-पिता तथा सब लोग बडे प्रसन्न होते हैं।

तुलसीदास

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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