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प्यारे बिन भर आये दोऊ नैन
प्यारे बिन भर आये दोऊ नैन।जब तैं स्याम गमन कियौ गोकुल तैं, नाँही परत री चैन॥
बैजू
श्री सरस्वती वंदना
‘प्रीतम’ सुकवि काव्य कौमुदी खिली है बेलि,मेल की थली है जित तेरौ ही रहैगौ राज।
यमुना प्रसाद चतुर्वेदी
पद-9
हर नातों की मूल हमी हैं, हम ही कोठे वालीहम चौके में, हम बिस्तर में, हम पत्तल, हम थाली
अष्टभुजा शुक्ल
मैं तो खेलूं प्रभु के संग
पावत ही सब भ्रम भय भागे आवागमन छूटीलरी।जीवन्मुक्त भयो मन मेरो व्याधा सब आशा जरी॥
सहजोबाई
आये हो भोर उनींदे स्याम
आये हो भोर उनींदे स्याम।सकल निसा जागे प्यारी संग, हारे हौ तुम रति-संग्राम॥
छीतस्वामी
साधो, सो सतगुरु मोंहि भावै
साधो, सो सतगुरु मोंहि भावै।सत्त प्रेम का भर भर प्याला, आप पिवै मोंहि प्यावै।
कबीर
आछो नीको लोनो मुख भोर ही दिखाइये
परमानंद दास
मेरैं आए भोर प्यारे रैनि कहां गंवाई
मेरैं आए भोर प्यारे रैनि कहां गंवाई।कौन तिया संग बस परे मोहन, जानि परी चतुराई॥
छीतस्वामी
पोढ़े हरि झीनो पट ओढ़
मकर कुंडल अलक अरुझी हार गुंजा ताटंक।नील पीत दोऊ अदल बदलें लेत भर भर अंक॥
परमानंद दास
नंद गोवर्धन पूजो आज
मेरो कह्यौ मान अब लीजै भर भर सकटन साज।परमानंद आन के अर्पत वृक्षा करत कित नाज॥