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नाम में रूप, नाम में विद्या
बैजू
यह नइया ढगमगि नाम बिना
यह नइया ढगमगि नाम बिना। लाइ ले सत्त नाम रठना॥इत उत्त मौलल अगम पना। अहै जरूर पार तरना॥
दूलनदास
हमारैं धन स्यामाजू कौ नाम
हमारैं धन स्यामाजू कौ नाम।जाकौं रटत निरंतर मोहन, नंदनंदन घनस्याम॥
गुणमंजरीदास
हरिजू को नाम सदा सुखदाता
हरिजू को नाम सदा सुखदाता।करी जु प्रीति निश्चल मेरे मन आनंद मूल विधाता॥
परमानंद दास
प्रथम नाम गनेस कौ लीजियै
बैजू
हरि नाम बोल लै सुगाना
हरि नाम बोल लै सुगाना, तेरौ जनम सुफल सब होय।एक दिन प्रान पींजरा तैं जब उड़ि जायगौ,
बैजू
राम नाम क्यों लीजै मन राजा
राम नाम क्यों लीजै मन राजा।काहु भाँति मेरे हाथ न आवै, महा बिकट दल साजा॥
मलूकदास
बड भागण हरि हिवड़े लगाई ए
बड भागण हरि हिवड़े लगाई ए।पुण्य पुरबला म्हारा प्रगट भया, मधुर-मधुर सुर मुरली सुणाई ए॥
रानाबाई
कृष्ण नाम जब तैं प्रवन सुन्यौ री आली
नंददास जाके नाम सुनत ऐसी गति,माधुरी मूरति है धौं कैसी दई री॥
नंददास
हरि के नाम कौं आलस क्यों करत हैं रे
हरि के नाम कौं आलस क्यों करत हैं रे, काल फिरत सर साँधे।हीरा बहुत जवाहर संचे, कहा भयो हस्ती दर बाँधे॥
स्वामी हरिदास
गिरिधर गदाधर चक्रधर गोपाल
कालीनाथन विस्वपति भक्तन सुखकारी जिया।पम मग मम गसा मप धसा ए नाम गीत कौं गाइया॥
गोपाल
म्हारा नेम प्रभु सौं कहि ज्यो जी
म्हारा नेम प्रभु सौं कहि ज्यो जी।म्हे भी तप करिवा संग चालां, प्रभु घड़ीयक उभा रहिज्यो जी।