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गाइये रामइयो दातार

gaiye ramaiyo datar

बखना

अन्य

अन्य

बखना

गाइये रामइयो दातार

बखना

गाइये रामइयो दातार।

सब सुख आपै रोर कांपै, निरधारां आधार॥टेर॥

नारद सारद द्वारे गावे, कीरति करै कै बार।

नाथ तू अनाथ बंधु, दालिद भंजनहार॥

अखें अमरपद च्यारि पदारथ, देत लावे बार।

मैं अस करिनें गाइयो, कमला नों भरतार॥

दूझै सदा भगति कै होझै, पंडित नांहि धार।

भगति भूरि दान आपै, मुकति पाडी लार॥

पीलीपहु आराधियो, म्हारा समरथ सिरजनहार।

'बखना' दरबार पहाऊ बोलै, वासन्यों करतार॥

स्रोत :
  • पुस्तक : बखना जी और उनकी बाणी (पृष्ठ 159)
  • संपादक : मंगलदास स्वामी
  • रचनाकार : बखना
  • प्रकाशन : श्री लक्ष्मीराम ट्रस्ट, जयपुर
  • संस्करण : 1937

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