Font by Mehr Nastaliq Web

प्रभु तू मेरो प्रान पियारा

prabhu tu mero pran piyara

धरनीदास

अन्य

अन्य

धरनीदास

प्रभु तू मेरो प्रान पियारा

धरनीदास

और अधिकधरनीदास

    प्रभु तू मेरो प्रान पियारा।

    परिहरि तोहि अवर जो जाचै, तेहि मुख छीया छारा।

    तो पर वारि सकल जग डारौं, जौ बसि होय हमारा॥

    हिंदू से राम अल्लाह तुरुक के, बहु बिधि करत बखाना।

    दुहुँ को संगम एक जहाँ, तहवाँ मेरो मन माना॥

    रहत निरंतर अंतरजामी, सब घट सहज समाया।

    जोगी पंडित दानि दसो दिसि, खोजत अंत पाया॥

    भीतर भवन भयो उँजियारो, धरनी निरखि सोहाया।

    जा निति देस देसंतर धावो, सो घटहीं लखि पाया॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : धरनीदास की बानी (पृष्ठ 29)
    • रचनाकार : धरनीदास
    • प्रकाशन : वेलवेडियर छापाखाना इलाहाबाद
    • संस्करण : 1931

    संबंधित विषय

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए