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झूलत घट में सुरत हिंडोला

jhulat ghat mein surat hinDola

संत सालिगराम

अन्य

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संत सालिगराम

झूलत घट में सुरत हिंडोला

संत सालिगराम

और अधिकसंत सालिगराम

    झूलत घट में सुरत हिंडोला। बाजत अनहद शब्द अमोला॥

    धुन की डोरी लगी अधर में। सुरत निरत रहि झांक अधर में॥

    सखी सहेली सब संग आईं। गगन मंडल में उंमग समाई॥

    अमीधार बरसत चहुं ओरी। हरष-हरष भीजत स्रुत गोरी॥

    हंस-हंसिनी जुड़ मिल आये। राग-रागिनी नइ-नइ गाये॥

    देख नवीन बिलास मगन मन। ऊपर चढे सुन अधर शब्द धुन॥

    शब्द हिंडोल बना सतपुर में। राधास्वामी झूलत जहाँ अधर में॥

    हंसन के जह झुंड सुहाये। अचरज सोभा कही आये॥

    जुड़ मिल दर्शन राधास्वामी करते। प्रीतम प्यारे के चरनन पड़ते॥

    प्रेम सहित सब आरत गावे। छिन-छिन राधास्वामी पुर्ष रिझावें॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : संत काव्य-धारा (पृष्ठ 353)
    • संपादक : परशुराम चतुर्वेदी
    • रचनाकार : संत सालिगराम
    • प्रकाशन : किताब महहल, इलाहाबाद
    • संस्करण : 1981

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