Font by Mehr Nastaliq Web

जब सू मन चंचल घर आया

jab suu man cha.nchal ghar aaya

चरनदास

अन्य

अन्य

चरनदास

जब सू मन चंचल घर आया

चरनदास

और अधिकचरनदास

    जब सू मन चंचल घर आया।

    निर्मल भया मैल गये सगरे तीरथ ध्यान जो न्हाया॥

    निर्बासा ह्वै आनंद पाये या जग सूँ मुख मोड़ा।

    पांचौ भई सहज बस मेरे जब इनका रस छोड़ा॥

    भय सब छूटै अब को लूटै दूजी आस कोई।

    सिमिटि-सिमिटि रहा अपने माहिं सकल विकल नहिं होई।

    निज मन हुआ मिटि गम दूआ को बैरी को मीता।

    बंधु मुक्ति का संसय नाहीं जन्म मरन की चीता॥

    गरू सुकदेव मेव मोहि दोनों जब सूँ यह गति साधी।

    चरनदास सूं ठाकुर हुए बुटि गये बाद बिबादी॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : हिंदी के जनपद संत (पृष्ठ 182)
    • रचनाकार : चरनदास
    • प्रकाशन : मोेतीलाल बनारसी, दिल्ली
    • संस्करण : 1963

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए