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आरती करि आरती, आतमा ऊजली

aarti kari aarti, aatma ujli

बखना

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बखना

आरती करि आरती, आतमा ऊजली

बखना

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    आरती करि आरती, आतमा ऊजली।

    रामजी पधार्यो म्हारे, पूरवन रली॥टेर॥

    तेतीस समांना ऊपरि चाढी, चँवर ढुलावे इकपग ठाढी।

    पंच सबद घंटा निरवाणी, झालरि बाजै राम नांम वांणी॥

    पांच पत्त को दीपक धार्यो, जोति सरूपी ऊपरि वार्यो।

    दसवें द्वारि देव मुरारी, सनमुख सुंदरि पूजणहारी॥

    मन पंडो तिंहि सेवा मांही, 'बखना' वारै आवे नांही॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : बखना जी और उनकी बाणी (पृष्ठ 177)
    • संपादक : मंगलदास स्वामी
    • रचनाकार : बखना
    • प्रकाशन : श्री लक्ष्मीराम ट्रस्ट, जयपुर
    • संस्करण : 1937

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