संस्मरण

कथेतर गद्य की प्रमुख विधाओं में से एक संस्मरण अतीत की घटनाओं के साहित्यिक शब्दांकन की विधा है। स्मृति, आत्मीय संबंध, वैयक्तिकता, प्रामाणिकता, चित्रात्मकता, कथात्मकता, स्वयं के प्रति तटस्थता आदि इसकी कुछ प्रमुख प्रवृत्तियाँ स्वीकार की जाती हैं। हिंदी में संस्मरण-साहित्य का आरंभ द्विवेदी युग से हुआ जो छायावाद युग तक पहुँचकर पर्याप्त प्रौढ़ हो चला और साहित्यिक विधा के रूप में इसकी प्रतिष्ठा बढ़ी।

राष्ट्रकवि के रूप में समादृत कवि। ‘भारत भारती’ उल्लेखनीय काव्य-कृति।

भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के सबसे बड़े नायक। जनमानस में 'बापू' और 'महात्मा' के नाम से प्रसिद्ध। सत्य, अहिंसा और सांप्रदायिक सद्भावना के प्रबल समर्थक।

छायावादी दौर के चार स्तंभों में से एक। कविता के साथ-साथ अपने रेखाचित्रों के लिए भी प्रसिद्ध। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित।