Font by Mehr Nastaliq Web

उद्धरण

उद्धरण श्रेष्ठता का संक्षिप्तिकरण हैं। अपने मूल-प्रभाव में वे किसी रचना के सार-तत्त्व सरीखे हैं। आसान भाषा में कहें तो किसी किताब, रचना, वक्तव्य, लेख, शोध आदि के वे वाक्यांश जो तथ्य या स्मरणीय कथ्य के रूप में प्रस्तुत किए जाते हैं, उद्धरण होते हैं। भाषा के इतिहास में उद्धरण प्रेरणा और साहस प्रदान करने का काम करते आए हैं। वे किसी रचना की देह में चमकती आँखों की तरह हैं, जिन्हें सूक्त-वाक्य या सूक्ति भी कहा जाता है। संप्रेषण और अभिव्यक्ति के नए माध्यमों में इधर बीच उद्धरणों की भरमार है, तथा उनकी प्रासंगिकता और उनका महत्त्व स्थापना और बहस के केंद्र में है।

समादृत संस्कृत कवि-लेखक-विद्वान। आधुनिक संस्कृत साहित्य में विपुल योगदान।

संस्कृत के सुप्रसिद्ध नाटककार। 'वेणीसंहार' कृति के लिए उल्लेखनीय।

समादृत संस्कृति कवि और नीतिकार। 'शतकत्रय', 'वाक्यपदीय', 'महाभाष्यटीका', 'वाक्यपदीयवृत्ति', 'शब्दधातुसमीक्षा' जैसी कृतियों के रूप में योगदान।

सुपरिचित कवि-कथाकार और नाटककार। जोखिमों से भरा बीहड़ जीवन जीने के लिए उल्लेखनीय।

पंजाबी भाषा के समादृत कवि-साहित्यकार एवं संपादक। सिख साहित्य में योगदान। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

भारतीय नवजागरण के अग्रदूत। समादृत कवि, निबंधकार, अनुवादक और नाटककार।

मराठी के समादृत कवि-लेखक और समालोचक। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित।

समादृत संस्कृत नाटककार। 'स्वप्नवासवदत्ता', 'प्रतिज्ञा यौगंधरायण', 'आविमारक' आदि कृतियों के लिए उल्लेखनीय।